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Friday 15 May 2020

H.R.F. KEATING’S CLASSIC INSPECTOR GHOTE SERIES IN DEVELOPMENT WITH ENDEMOL SHINE INDIA


 

Inspector Ghote: A legendary fictional Indian detective awaits his ...

 

Mumbai, 13th May, 2020- Endemol Shine India has optioned the classic Inspector Ghote detective series of novels by H.R.F. Keating for adaptation into a multi-part returnable drama.

 

The Perfect Murder (1964) introduced Inspector Ganesh V. Ghote, an officer in the Bombay CID and won the British Crime Writer’s Association Gold Dagger award. Intended as a one-off, success in America and the UK led Keating to write 25 titles featuring Ghote, published over a 45-year period before his death in 2011.

 

Abhishek Rege, CEO Endemol Shine India said: “We at Endemol Shine India look forward to bringing alive the inimitable world of Inspector Ghote first created by H.R.F. Keating in the 1960s. Our attraction to the series, along with the prestige of reintroducing the legacy of H.R.F. to a new audience, was the wide appeal and popularity of this lovable Indian Inspector. This universe celebrates not just a highly endearing and enduring character but also the nostalgia of a slice of our collective past, history and culture. The joy as producers and creators is to be able to create content that cuts across demographics and geographies because it is unique relatable and entertaining. “ 

 

A screen shot of a person

Description automatically generatedThe new book-to-screen deal is timed with Severn House republishing each of the Inspector Ghote novels and Level Best Books publishing a new biography H.R.F. Keating: A Life of Crime by Keating’s wife, actress Sheila Mitchell, on 28th April 2020.

 

Sheila Mitchell said: “I am absolutely thrilled that Harry is being celebrated in so many ways some nine years after he died and I am quite sure that, with Endemol Shine India’s reputation, they will find a way not only to bring the essential Ghote to the screen but also that their adaptation will introduce him to new generations.”

 

The new biography gives an intimate view into the life and writings of one of the most revered authors of British crime fiction in the second half of the twentieth century. At the age of 94, this is Mitchell’s literary debut and features an introduction from Len Deighton.

 

Dramatic rights were acquired by Endemol Shine India from broadcast agent James Carroll at Northbank Talent Management on behalf of Peter Buckman at The Ampersand Agency and the H.R.F. Keating Estate. Mumbai-based agency The Story Ink was the advisor on the deal for Endemol Shine India.

 

Sidharth Jain, Producer & Founder at The Story Ink, said: The Inspector Ghote Series is a much coveted and exciting addition to Endemol Shine India & The Story Ink’s joint development & co production slate. I’m very happy for The Story Ink to be part of this thrilling collaboration.

 

Henry Reymond Fitzwalter Keating was born in Sussex in 1926. After a short period working as a subeditor on The Times, he went on in 1963 to review crime fiction for them for fifteen years. He published his first novel in 1959, and the first of the Inspector Ghote series in 1964.

 

Endemol Shine India is one of the leading and most valuable content production companies in subcontinent across television, film and digital content. The company is a  joint venture bringing together Endemol Shine and CA Media to create a global content creator, producer and distributor across scripted and non-scripted genres.

 

Northbank Talent Management is a talent and literary agency based in central London representing thought leaders, broadcasters and writers across all media throughout the world.  Northbank’s team has decades of collective experience in the publishing, broadcast, brand licensing and corporate speaking industries which makes for a powerful offering in full-service talent representation.

 

The Ampersand Agency is a small, selective, and successful literary agency with offices in London and Oxfordshire. Representing brand names like Georgette Heyer and H R F Keating, its reputation for discovering new talent started when they took on Vikas Swarup, whose first novel was sold in over 40 countries and turned into the multi-Oscar winning film Slumdog Millionaire.

 

The Story Ink is India’s first premium story company and has also become India’s No.1 book to screen development and production company. With more than 10 coproduction’s in the pipeline, and more than 75-book to screen adaptation deals in the last 18 months, The Story Ink has redefined accelerated project development in India.

आपकी देखभाल करने वाले की चुनौतियों को समझें, उनके साथ सहानुभूति रखें


 

- श्री समीर जोशीएसोसिएट वाइस प्रेसिडेंटमार्केटिंग (बी2बी)गोदरेज इंटरियो

 

स्वास्थ्यकर्मी जिस तरह से हर दिन राष्ट्र सेवा के लिए कुर्बानी देते हैंउसे जानना-समझना किसी दर्द से गुजरने से कम नहीं होता है. हाल ही मेंमीडिया में एक खबर आई कि 31 वर्षीय एक पीजीआई नर्सिंग स्वास्थयकर्मी ने 16 दिन पहले अपना घर छोड़ दिया था और तब से वह परिवार से दूर रहते हुएखुद को क्वारंटाइन में रखे हुए हैं.

 

घर से निकलने से पहले वह अपनी बेटी के शब्दों को याद करते हैं: "जब तुम आना तो मेरे लिए चॉकलेट लेते आना.” ये पीजीआई नर्सिंग स्वास्थयकर्मी इतने दिनों तक कभी भी अपनी बेटी से दूर नहीं रहे हैं. इस स्थिति मेंअपनी बेटी और परिवार से जुड़े रहने का उनके पास एकमात्र तरीका यही है कि वे अन्य रोगियों के मन में आशा का संचार करने के लिए अपने परिवार के बारे में बात करते रहते हैं.

 

दूसरी तरफएक छोटी लड़की का वीडियो वायरल है. इसमें वो नर्सिंग स्टाफ की तरफ किस (चुंबन) उछल रही हैंक्योंकि उनलोगों ने उसकी पूरे समर्पण और सेवाभाव से ख्याल रखा था. ये वीडियों दिल को छू जाता है. स्वास्थयकर्मियों का ये व्यवहार किसी महामारी की वजह नहीं है. अधिकांश लोग मानते हैं कि स्वास्थ्य की देखभाल करने वाले लोगों के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए क्योंकि आमतौर पर वे हमेशा ही लोगों का बेहतर ख्याल हैं. नर्सिंग के काम में कई चुनौतियां हैं. इनमें पेशेवर चुनौतियां भी है और घरेलू मोर्चे पर भी चुनौतियां होती है.

 

लोग अक्सर ये बात भूल जाते हैं कि इन देखभाल करने वालें लोगों को भी सहानुभूतिप्यार की आवश्यकता होती है और अन्य श्रमिकों की तरह उन्हें भी काम करने के लिए एक सुरक्षित और खुशनुमा माहौल चाहिए. चुनौतियों का सामना करने के बावजूदवे राष्ट्र को विजयी बनाने में मदद करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं.

 

देखभाल के काम में भावनात्मक और शारीरिक तनाव बहुत अधिक होता है. लेकिनइस तथ्य पर शाय्द ही कोई ध्यान देता हो. नर्सिंग और देखभाल करने का मतलब केवल एक मरीज की शारीरिक समस्याओं की देखभाल करना ही नहीं हैबल्कि इसका मतलब भावनात्मक रूप से मरीज की मदद करना भी है. इससे नर्सों के बीच भावनात्मक संकट पैदा होता है. यही आगे चल कर उन्हें आंतरिक रूप से प्रभावित करने वाले बहुत सारे शारीरिक तनाव की ओर अग्रसर करता है.

 

जैसे-जैसे कोरोना का प्रकोप वैश्विक स्तर पर फैलता जा रहा हैहेल्थकेयर प्रोफेशनल्स और विशेषज्ञों की चिंता बढ़ती जा रही है. वे इस बात से चिंतित हैं कि ये वायरसनर्सों और डॉक्टरों पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है.

 

ऐसे मेंबदलती जरूरत को पूरा करने के लिए सकारात्मक रूप से प्रेरित और अच्छी तरह से तैयार कार्यबल की आवश्यकता है. हम नर्सों की आवश्यकता को पूरा करके और उनकी चुनौतियों का ख्याल रखते हुए इस लक्ष्य को पा सकते हैं. इससे नर्सिंग स्टाफ को सशक्त और प्रोत्साहित किया जा सकता हैजिससे कि वे बिना किसी बाधा के लोगों को अपना उत्कृष्ट सेवा दे सकें.

 

भारत में 600,000 डॉक्टरों की कमी है. प्रत्येक 10,189 लोगों पर एक सरकारी डॉक्टर है (विश्व स्वास्थ्य संगठन 1: 1,000 के अनुपात की सिफारिश करता है). साथ ही देश मेंदो मिलियन नर्सों की कमी है. आज देश में नर्स-रोगी अनुपात 1: 483 है.

 

कोविड-19 मामलों की बढती संख्याथकाऊ शिफ्ट की वजह से नर्सिंग स्टाफ के पास आराम करने का भी समय नहीं है. भारत की कार्य संस्कृति बेहद विविध है. पूरे देश में बदलती हुई गंभीर स्थिति के साथ ही भारतीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली भी परिवर्तनकारी बदलाव के दौर से गुजर रही है. जिम्मेदारियों के साथ तालमेल बिठाने के क्रम में अक्सर नर्सिंग स्टाफ उन चुनौतियों को नजरअन्दाज करते हैंजिनका वे सामना कर रहे हैं. उन्हें ये एहसास नहीं होता कि खुद उनका स्वास्थ्य बेहतर होना कितना आवश्यक है.

 

वायरस के वैश्विक प्रसार के दौरान, इस तरह की अभूतपूर्व स्थितिकठिन कार्यक्षेत्र और समय में काम काम बहुत ही दर्दनाक साबित होता है. इस आपदा से कोई भी देश या समाज अछूता नहीं है. जिस तेजी से ये महामारी फैल रही हैसरकारसंस्थानव्यवसाय और बाजार इस वास्तविकता का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है. चारों तरफ भय का माहौल है. इस वैश्विक महामारी के शुरु होने से पहले से हीहर दिन नर्सिंग स्टाफ को असंख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.

 

चुनौतियां:

बीमारियों और वायरस से राष्ट्र की रक्षा के क्रम में असल जिन्दगी के इन नायकों को बड़ी चुनौतियों का सामना करना होता है. नर्सों के कार्य में भारी ट्रॉलियों को धकेलनारोगी के बेड को धकेलनारोगी को उठने बैठने के लिए उठानारोगियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जानारोगी की देखभाल करते समय झुकना, बिस्तर बनाना और खिलाना या पानी-खून चढानारोगी को बिस्तर से व्हीलचेयर तक ले जाना या व्हीलचेयर से बिस्तर तक लानाउनकी साफ-सफाई करनाआदि जैसे काम शामिल हैं.

 

ये सभी कार्य थका देने वाले होते हैं और इसमें नर्सों को बहुत अधिक शारीरिक मेहनत करनी पडती है.

 

तनाव और समय के खिलाफ लडाई

लंबे समय तक काम करने के शिफ्ट, ओवरटाइम और काम की अधिकताउनके शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति को प्रभावित करते हैं. हमारे शुरुआती अध्ययन के अनुसार, 88% नर्सें दिन में 8-10 घंटे काम करती हैं और महीने में कम से कम दो बार या तीन बार ओवरटाइम करती हैं (35% महीने में तीन बार से ज्यादा समय तक काम करती हैं).

 

1.      कमजोर रोगी:नर्स अनुपात

गोदरेज इंटरियो के शोध अध्ययन “एलीवेटिंग एक्सपिरिएंसेजएनरिचिंग लाइव्स” से पता चलता है कि चिकित्सा और सर्जरी (विशेष रूप से सामान्य वार्ड) जैसे विभागों में 53% नर्सों के लिए स्टाफ-पेशेंट रेशियो 1:6 का है.

इंडियन नर्सिंग काउंसिल (आईएनसीमानदंडों के अनुसारमेडिकल कॉलेजों के सामान्य वार्डों में नर्स-मरीज का अनुपात 1: 3 और जिला अस्पतालों के लिए 1: 5, ओपीडी के हरेक क्लिनिक के लिए एक और आईसीयू या अन्य क्रिटिकल एरिया के लिए 1: 1 का होना चाहिए.

2.      अनियमित और अनियंत्रित छुट्टी (ब्रेक)

3.घंटे लागातार काम के बाद 28% नर्सिंग स्टाफ ब्रेक लेते हैंजबकि 26% किसी कार्यदिवस (8 या अधिक घंटे) में कोई ब्रेक नहीं लेते हैं.

4.      शारीरिक मुद्रा से होने वाला तनाव

एक पेशे के रूप में नर्सों को खडे हो कर अपनी सेवा देने की जरूरत होती है. हालांकि, 74% नर्से दिन में 4-6 घंटे से अधिक समय तक खड़ी रहती हैं. इससे उनके पैरों और कमर में समस्या आ सकती है.

5.      अतिरिक्त मैकेनिकल सहायता

एक मरीज को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जानानर्सिंग कर्मचारियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी में से एक है. हमने यह समझने की कोशिश की कि देखभाल करने वाले स्टाफ इसके लिए किस तकनीक उपयोग कर रहे हैं. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या वे तकनीक मरीज के साथ-साथ कर्मचारियों के लिए भी सुरक्षित हैं.

हमने पाया कि कुछ बड़े निजी अस्पतालों मेंजहां उनके पास मैकेनिकल लिफ्टर हैस्टाफ को या तो इसके उपयोग के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया था या वे उस प्रक्रिया का उपयोग करने में संकोच कर रहे थे. इससे भी नर्सों के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव पड सकता है. अध्ययन के दौरान नर्सों से बातचीत से निम्नलिखित मुद्दें सामने आए:

• 44% नर्सें गैट बेल्ट की मदद से मरीज को अकेले उठाती हैं

• 58% नर्सें रोगी को गैट बेल्ट की मदद के बिना अकेले उठाती हैं

• 43% नर्सें रोगी को अकेले बिस्तर पर लिटाती हैं

• 57% नर्सें मरीज को सिर्फ एक व्यक्ति की मदद से एक बिस्तर से दूसरे बिस्तर पर शिफ्ट करती हैं

• 74% नर्सों ने बताया कि वे एक मरीज को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते समय मैकेनिकल लिफ्टर का उपयोग नहीं करती हैं

अस्पताल के काम के कई पहलू हैं. मसलनइसके भौतिक तत्वजैसे इसका कार्यक्षेत्रकार्यस्थान और भौतिक वातावरण. इसके अलावाइसके मनोसामाजिक तत्वजैसेनौकरी से संतुष्टिकार्यभारस्वायत्तता और भागीदारी. ये सभी तत्व नर्सों के तनाव और दक्षता को प्रभावित करते हैं.  

अस्पताल का डिजाइन और बुनियादी ढांचा नर्सों की कार्य संतुष्टि और रोगियों के आराम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. डिजाइनरों को तकनीकी रूप से उन्नत सुविधाश्रम दक्षता के हिसाब से फिट और एक ऐसा हेल्थकेयर सेटअप जो रोगी और उनके देखभाल करने वालों की सुविधा पर केंद्रित हो, पर ध्यान देना चाहिए. इन अस्पतालों को नौकरी के घंटे और नर्सों के कार्यों के अनुसार डिज़ाइन किए जाने चाहिए. डिजाइन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नर्सिंग स्टाफ के पास आराम करनेखुद को काम के लिए फिर से तैयार करने के लिए जगह हो. अस्पताल के बुनियादी ढांचे को डिजाइन करते समय नर्सिंग स्टाफ के तनाव और थकान को कम करने और एर्गोनोमिक (कर्मचारी कार्य परिस्थिति) रूप से फिट स्पेस के महत्व पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

 

इन स्थानों को डिज़ाइन करते समय फर्नीचर के समायोजनचिकित्सा उपकरणों की बाधा रहित प्लेसमेंट और कमरे में प्रकाशअंदर और आसपास वेंटिलेशन और साउंड लेवल को बेहतर बनाए रखने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं. ये सभी काम कर्मचारी दक्षता और रोगी की रिकवरी के लिए महत्वपूर्ण हैं. अस्पतालों में बिताए लंबे घंटों को ध्यान में रखते हुएकार्यक्षेत्रों को बेहतर तरीके से एर्गोनॉमिक्सउत्पादकतादक्षता, पहुंच और सुविधा का समर्थन करने के लिए डिज़ाइन किया जाना चाहिए.

गोदरेज इंटरियो का रिसर्च पेपर “एलीवेटिंग एक्सपीरियंसएनरिचिंग लाइव्स” से पता चलता है कि 90% से अधिक नर्सों को मस्कुलोस्केलेटल विकार (मस्लसबोन आदि में दर्द) की शिकायत हैं. एक पेशे के रूप में नर्सों को काफी देर तक खडे हो कर काम करना होता है. लंबे समय तक काम करनेओवरटाइम और काम की अधिकताविशेष रूप से बीमारियों के तेजी से फैलने के समय मेंसे उनके शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति पर नकारात्मक असर होता है.

नर्सों के कार्यक्षेत्र के डिजाइन में नर्सों की भागीदारी आवश्यक है. ये काम बेहतर और उच्च गुणवता के कार्य प्रदर्शन के लिए प्रेरक के रूप में कार्य कर सकते हैं. किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव के लिएएक महत्वपूर्ण कार्य डिजाइन मानदंड के अलावा भागीदारी भी बहुत जरूरी है.

Tuesday 21 April 2020

Believe signs Music Distribution Deal with T M Music

 


16th April 2020 : Believe, a leading fully independent digital distributor has signed a strategic deal with T M Music, the latest initiative of entrepreneur Tarsame Mittal. Tarsame’s successful initiatives include managing prominent music and comic talent from India, creating unique IPs such as a music conference & festival and working with avariety of  clients for their live entertainment requirements.

The deal will enable Believe to participate in the burgeoning indie music scene in India and take the music to all Local & International Digital Music Stores worldwide. 


महिन्द्रा लॉजिस्टिक्स एलाइट ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप के दौरान सहायता हेतु निःशुल्क आपातकालीन कैब सेवाएँ शुरू की


~हैदराबाद में इन सेवाओं का लाभ लेने के लिए डायल करें +91-8433958158 ~

~गैर-चिकित्सकीय आपातकालीन परिवहन हेतु सहायता करने के लिए विशेष बेड़ा ~

 

हैदराबाद, 8 अप्रैल, 2020: भारत के सबसे बड़े 3पीएल समाधान प्रदाताओं में से एक, महिन्द्रा लॉजिस्टिक्स (एमएलएलने आज घोषणा की कि इसका एंटरप्राइज मोबिलिटी बिजनेसएलाइट कोविड-19 महामारी से प्रभावितों के लिए आपातकालीन कैब सेवाएँ उपलब्ध कराएगा। ये सेवाएँ निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी। यह सेवा आज हैदराबाद में शुरू की गयी।

एलाइट द्वारा ये सेवाएँ इलेक्ट्रिक वाहनों सहित डेडिकेटेड फ्लीट के जरिए उपलब्ध कराई जाएंगी। ये सेवाएँ प्रमुख रूप से सिंगल मदर्स, दिव्यांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों आदि लोगों के लिए हैं जो अत्यावश्यक सेवाओं जैसे बेहद जरूरी सामानों  दवाओं की खरीदारी, बैंक, पोस्ट ऑफिसेज में जाना, और चिकित्सकों से भेंट आदि के लिए वाहन सेवाएँ लेने में असमर्थ हैं। अत्यावश्यक सेवाएँ प्रदान कर रहे डॉक्टर्स, नर्सेज  अन्य लोगों के लिए भी ये सेवाएँ उपलब्ध होंगी। इच्छुक व्यक्तिइन सेवाओं का लाभ लेने के लिए महिन्द्रा लॉजिस्टिक्स के डेडिकेटेड हेल्पलाइन पर संपर्क कर सकते हैं।

आज हैदराबाद में यह सेवा शुरू की गयी। रचकोंडा कमिश्नरी, हैदराबाद के सहयोग से इन सेवाओं का संचालन होगा और ये साइबराबाद, हैदराबाद, संगरेड्डी और रचकोंडा क्षेत्रों में उपलब्ध होंगी।

महिन्द्रा लॉजिस्टिक्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक  मुख्य कार्यकारी अधिकारी, श्री रामप्रवीण स्वामिनाथन ने बताया, "यह हमारे समाज के लिए अभूतपूर्व रूप से मुश्किल समय है। इस संकट का सामना करने के लिए सभी हितभागियों के संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है। इस विपदा से लड़ने के लिए सरकार द्वारा अनेक सराहनीय कदम उठाये जा रहे हैं और हैदराबाद पुलिस के सहयोग सेहम इन प्रयासों में हरसंभव सहयोग करते रहेंगे। इस अवधि के दौरानहमने पाया है कि लोगों को अत्यावश्यक कार्यों हेतु परिवहन साधनों

Svayam's 'Accessible Family Toilet Project' Reveals that 76% of People in Rural India, with Reduced Mobility, Struggle to Access Basic Sanitation Facilities

In four years, 1.44 crore individuals have been made aware of the significance of accessible sanitation across 14 st...